भीलनी के बेर सुदामा के तंदुल
रूचि रूचि भोग लगाओ मेरे मोहन
दुर्योधन को मेवा त्यागी
साग विदुर घर खायो मेरे मोहन
जो कोई तुम्हारा भोग लगाये
सुख संपत्ति घर आवे मेरे मोहन
ऐसा भोग लगाओ मेरे मोहन
सब अमृत हो जाये मेरे मोहन
जो कोई ऐसा भोग को खाए
सो त्यारा हो जाये मेरे मोहन
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